Shalu Arogya Kunj

जानु वस्ती – घुटनों के लिए आयुर्वेदिक उपचार

परिचय:

जानुबस्ति आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की एक विशिष्ट विधि है, जिसमें घुटनों पर विशेष औषधीय गर्म तेल को एक घेरा बनाकर रखा जाता है। यह उपचार विशेष रूप से घुटनों के दर्द, गठिया, जोड़ों की सूजन, और जकड़न जैसी समस्याओं के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह आयुर्वेद का एक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है जिससे घुटनों को आराम और पोषण दोनों प्राप्त होता है।

मुख्य लाभ:

  • घुटनों के पुराने दर्द में राहत
  • गठिया और संधिवात में लाभदायक
  • घुटनों की सूजन और जकड़न में सुधार
  • जोड़ में चिकनाई और गति में लचीलापन बढ़ाना
  • घुटनों की मांसपेशियों और स्नायु को मजबूती देना

सेवा प्रक्रिया:

  • रोगी को आरामदायक स्थिति में लिटाया जाता है।
  • घुटने के चारों ओर एक आटा या मूंग दाल के पेस्ट से घेरा (Vasti) बनाया जाता है।
  • इस घेरे के भीतर गर्म औषधीय तेल डाला जाता है, जिससे वह घुटने के जोड़ को गहराई तक प्रभावित करता है।
  • तेल को कुछ समय तक स्थिर रखा जाता है और बीच-बीच में उसे फिर से गर्म करके डाला जाता है।
  • प्रक्रिया के बाद तेल को साफ कर हल्की मालिश की जाती है।

कौन ले सकता है:

  • जो लोग घुटनों के दर्द या सूजन से परेशान हैं
  • गठिया, संधिवात या ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले लोग
  • जिनके जोड़ों में जकड़न, अकड़न या चलने-फिरने में दिक्कत है
  • जो लोग बिना सर्जरी के प्राकृतिक उपचार की तलाश में हैं
  • जो नियमित शारीरिक श्रम या उम्र के कारण घुटनों में कमजोरी महसूस करते हैं

जानुबस्ति – अतिरिक्त जानकारी और लाभ:

जानुबस्ति न केवल दर्द में राहत देता है बल्कि घुटनों के जोड़ की संरचना को भी पोषण प्रदान करता है। यह उपचार औषधीय तेल की गर्मी के माध्यम से जोड़ों में गहराई तक जाकर वहाँ के टिशूज़ और नसों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

अतिरिक्त लाभ:

  • घुटनों में रक्त संचार में सुधार
  • जोड़ों की गतिशीलता में वृद्धि
  • सर्जरी के बाद रिकवरी में सहायक
  • शारीरिक थकान और जोड़ों की कमजोरी में राहत
  • दैनिक गतिविधियों (चलना, बैठना, सीढ़ियाँ चढ़ना) में आसानी

विशेष प्रक्रिया:

  • रोगी को पीठ के बल लेटा या बैठा कर घुटनों को उजागर किया जाता है।
  • विशेष आटे से बने घेरे को घुटने पर मजबूती से लगाया जाता है ताकि तेल बाहर न निकले।
  • गर्म औषधीय तेल को धीरे-धीरे इसमें डाला जाता है और निर्धारित समय तक रखा जाता है।
  • समय समाप्ति पर तेल को निकाल कर हल्के हाथों से मालिश की जाती है।
  • उपचार के बाद घुटनों को ढक कर आराम करने दिया जाता है।

अनुभव:

जानुबस्ति कराने के बाद रोगी को घुटनों में हलकापन, गर्माहट और लचीलापन का अनुभव होता है। यह प्रक्रिया दर्द से राहत के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आराम भी प्रदान करती है। नियमित जानुबस्ति से घुटनों की समस्याओं में स्थायी सुधार संभव है।

हमारी सेवाएँ और शुल्क

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जानुवस्ति

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